आम के छोटे फलों पर (टिकोले)  लाल पट्टी वाला छेदक (रेड बैंडेड बोरर) कीट का भारी आक्रमण कैसे करें प्रबंधन?
आम के छोटे फलों पर (टिकोले)  लाल पट्टी वाला छेदक (रेड बैंडेड बोरर) कीट का भारी आक्रमण कैसे करें प्रबंधन?

प्रोफेसर (डॉ) एस.के.सिंह 
प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना एवम् 
सह निदेशक अनुसंधान
डॉ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय
पूसा, समस्तीपुर - 848 125

बिहार के विभिन्न जिले जैसे वैशाली, दरभंगा पश्चिमचंपारण, शिवहर, समस्तीपुर, किशनगंज के अनेकोनेक किसान इस बात की शिकायत कर रहे है की उनके बाग के 40 से 60 प्रतिशत तक टिकोले सड़ कर गिर जा रहे है। लगभग सभी आम उत्पादक किसानों का कहना है की उन्होंने इस कीट के नियंत्रण के लिए तरह तरह के कीटनाशकों का प्रयोग कर लिया है लेकिन उन कीटनाशकों का इस कीट के ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है। यह कीट आम उत्पादक किसानों के मध्य भारी निराशा का कारण बन कर उभर रहा है। इन जिलों में इस कीट से भारी नुकसान होने की संभावना है। इस समय बिहार में आम के फल मटर के बराबर या उससे बड़े हो गए है। पश्चिम चंपारण, मुजफ्फरपुर एवं दरभंगा, वैशाली एवं शिवहर जिले के आम उत्पादक किसान आम के छोटे फलों में  फ्रूट ब्रोरर यानी फल छेदक कीट के व्यापक आक्रमण से बहुत परेशान है। यह कीट वर्ष 2014 एवं 2015 में सर्वप्रथम कुछ आम के बागों में देखा गया था इसके बाद विगत तीन वर्ष से भारी वर्षा एवं वातावरण में अत्यधिक नमी होने की वजह से  इस कीट का पुनः व्यापक प्रकोप देखा जा रहा है। यह कीट टिकोले की अवस्था से लेकर आम के पकने से ठीक पहले तक आम के फल को नुकसान पहुंचता है। इससे केवल आम का फल प्रभावित होता है अन्य हिस्सों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। यह कीट इस समय बिहार में आम के फल की सबसे बड़ी समस्या के तौर पर उभरा है। इस कीट से किन्ही किन्ही जिलों में 30 से लेकर 60 प्रतिशत तक टिकोले प्रभावित हो चुके है। इसे तुरंत नियंत्रित करने की आवश्यकता है अन्यथा आम की फसल को यह कीट बहुत नुकसान पहुंचा देगा। यह कीट अभी तक उत्तर प्रदेश से रिपोर्ट नही है।

ये कीड़ा लार्वा के रूप में दो सटे हुए आम के फलों पर लगता है। आम का जो भाग सटा हुआ होता है उसी पर लगता है। शुरुआत में ये आम के फल पर काला धब्बा जैसा दाग डाल देता है। यदि समय से इसकी रोकथाम नहीं की गई तो ये फल को छेद कर अंदर से सड़ा देता है, जो कुछ ही दिनों में गिर जाता है। इस रेड बैंडेड मैंगो कैटरपिलर भी कहते है। रेड बैंडेड मैंगो कैटरपिलर (RBMC) एशिया के उष्णकटिबंधीय भागों में आम का एक महत्वपूर्ण कीट है। भारतवर्ष में इस कीट से 10 से 50% के बीच हानि का आकलन किया गया है। यह कीट, आम के लिए एक गंभीर खतरा है। इस कीट को आम का फल छेदक (बोरर)/ लाल पट्टी वाला छेदक (बोरर)/आम का गुठली छेदक (बोरर) इत्यादि नामों से जाना जाता है। इस कीट के अंडे का आकार 0.45 x 0.7मिमी, रंग दूधिया सफेद, लेकिन 2-3 दिनों के बाद क्रिमसन रंग में बदल जाता है। शुरू में इस कीट के लार्वा बहुत छोटे होते हैं, गुलाबी बैंडिंग और काले सिर क्रीम रंग के होते हैं। जैसे ही लार्वा बढ़ता है, वे चमकीले, गहरे लाल और सफेद रंग के बैंड के साथ चमकदार हो जाते हैं, और सिर के पास एक काला 'कॉलर' होता है। लंबाई में 2 सेमी तक बढ़ सकता है। एक आम के फल में एक से अधिक लार्वा मौजूद हो सकते हैं, और वे अलग-अलग आकार के हो सकते हैं। रेड बैंडेड मैंगो कैटरपिलर आम के फलने के मौसम और सबसे अधिक आम के फल में गुठली बनाने के दौरान की एक बहुत बड़ी समस्या है। यहां तक ​​कि छोटे फल (गुठली बनने की पूर्व अवस्था), हरे फल को भी संक्रमित कर सकता है। फल आम के पेड़ का एकमात्र हिस्सा है जो इस कीट से प्रभावित होता है। आम के फल का छिलका और फल का हिस्सा के अंदर लाल बैंडेड कैटरपिलर सुरंगें बनाती है और फल के गुठली को भी खाती है,जिससे फल खराब होते हैं और जल्दी गिर जाते हैं। यह कीट भारत, इंडोनेशिया (जावा और सुलावेसी), म्यांमार, पापुआ न्यू गिनी और फिलीपींस में पाया जाता है। इस कीट के अंडे आमतौर पर फलों के डंठल (पेडुनकल) पर पाए जाते हैं। अंडे देने के लिए आम की मार्बल स्टेज सबसे अनुकूल अवस्था होती है। शुरुआती मौसम में पतझड़ के मौसम में पतंगों की तुलना में बड़ी संख्या में अंडे दिए जा सकते हैं, 12 दिनों के बाद अंडे लार्वा में आ जाते हैं, जो फलों के गुद्दे में और बाद में आम की गुठली  में सुरंग बनाते हैं। लार्वा फल में आमतौर पर 1 बोर छेद के माध्यम से प्रवेश करते हैं। 15-20 दिनों के लिए लार्वा खाते हुए, 5 विकास चरणों (इंस्टार) से गुजरते हुए बढ़ते हैं। पहले 2 इंस्टार्स आम के गुद्दे पर, बाद में इंस्टार्स आम के गुठली को खाते हैं। लार्वा रेशम के एक कतरा का उत्पादन कर सकते हैं, जिसका उपयोग वे अन्य फलों पर या आसपास के फलों को अन्य पेड़ों पर ले जाने के लिए कर सकते हैं, जब वे भोजन से बाहर निकलते हैं, या पेड़ की छाल या मिट्टी को छोड़ने के लिए छोड़ देते हैं। आम के पेड़ों की छाल के नीचे या मिट्टी में होता है और आमतौर पर लगभग 20 दिन लगते हैं।  जब आम के फलने का मौसम खत्म हो जाता है, तो प्यूपा अगले फलने के मौसम तक जीवित रह सकता है। आम में मंजर निकलने के समय वयस्क पतंगे का उद्भव होता है।एक बार वयस्क कीट उभरने के बाद, संभोग के बाद मादा अंडे देना शुरू कर देती है। वयस्क मादा पतंगे 3-9 दिनों तक जीवित रह सकती हैं।पतंगे ज्यादातर निशाचर होते हैं, दिन में पत्तियों के नीचे आराम करते हुए अपना समय बिताते हैं।

रेड बैंडेड मैंगो कैटरपिलर आम उत्पादन के लिए एक गंभीर खतरा है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 10 से 52% हानि, इंडोनेशिया और पापुआ न्यू गिनी में 30-40% और फिलीपींस और दक्षिण-पूर्व एशिया में 40-50% तक होती है।

लाल पट्टी वाला छेदक (रेड बैंडेड बोरर) कीट को कैसे करें प्रबंधित?
आम के फल को इस कीट से बचाने के लिए आवश्यक है की बाग़ से सड़े गले और गिरे हुए फल को बाग से इकट्ठा कर बाहर कर नष्ट कर दें। अगर संभव हो तो फल की बैगिंग कर दें। इस कीट का आक्रमण टिकोले की अवस्था से लेकर फल के पकने से ठीक पहले तक होती है क्योंकि इस कीट की जनन प्रक्रिया लगातार चलते रहती है। फल वृद्धि की पूरी अवस्था तक यदि इसकी संख्या को कम नहीं किया गया तो भारी नुकसान होता है।  इस कीट के प्रबंधन के लिए क्लोरीनट्रानिलिप्रोएल (कोरिजन) @ 0.4 मिली प्रति लीटर पानी या इमामेक्टिन बेंजेट @ 0.4 ग्राम या डेल्टामेथ्रिन 28 ई.सी.1 मिली. प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से इस कीट की उग्रता में कमी लाई जा सकती है। इसके अलावा क्वीनलफास या क्लोरपैरिफोस 2 मिली प्रति लीटर या लैम्डा साइहलोथ्रिन 5 ईसी @ 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव कर सकते है। यह कीट  सुबह ज्यादा सक्रिय रहता है इसलिए छिड़काव सुबह करना अच्छा रहता है।